दिवाली, जिसे हम रोशनी का त्योहार मानते हैं, एक ऐसा समय है जब हम खुशियों और जश्न के साथ-साथ अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलते हैं। लेकिन, पटाखों का इस्तेमाल इस त्योहार का एक विवादित पहलू बन गया है।
खुशी और उत्साह
दिवाली पर पटाखे जलाना कई लोगों के लिए खुशी और उत्साह का प्रतीक होता है। बच्चों के लिए, ये रंग-बिरंगे पटाखे और उनकी आवाजें एक जादुई अनुभव हैं। लोग रात के आसमान में रोशनी का खेल देखकर उत्साहित होते हैं।
पर्यावरण और स्वास्थ्य के मुद्दे
हालांकि, पटाखों के साथ एक बड़ी समस्या भी है। ये न केवल प्रदूषण का कारण बनते हैं, बल्कि कई लोगों के लिए स्वास्थ्य खतरा भी बन सकते हैं। धुएं और शोर से अस्थमा और अन्य सांस संबंधी बीमारियाँ बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, पालतू जानवर भी पटाखों के शोर से परेशान होते हैं।
समाज में बहस
आजकल, पटाखों के उपयोग पर काफी बहस हो रही है। कुछ लोग इसे परंपरा का हिस्सा मानते हैं, जबकि अन्य इसे बंद करने की मांग कर रहे हैं। यह समाज में दो विपरीत विचारधाराओं को जन्म दे रहा है।
एक नया नजरिया
इस साल, हम सबको सोचने की ज़रूरत है। क्या हम अपने जश्न को बिना पटाखों के भी मना सकते हैं? दीयों, मिठाइयों और परिवार के साथ मिलकर एक नई परंपरा बना सकते हैं।
दिवाली का असली मतलब खुशी, प्यार और एकता है। पटाखों के बिना भी हम इसे पूरा कर सकते हैं। आइए, इस दिवाली एक सकारात्मक बदलाव लाएं!